एम. एफ. हुसैन को उनकी पेंटिंग के साथ विवादों के कारण भी जाना जाता है, उन्होंने मुंबई में प्रोग्रेसिव आर्टिस्ट ग्रुप को स्थापित करने में अपनी महत्वपूर्ण भूमिका निभायी। हालाँकि की वह एक प्रसिद्ध चित्रकार और फिल्म निर्देशक भी रहे है और भारतीय चित्रकला में एक नयी विधा क्यूबिस्ट को विकसित किया। यह मूलतः बीसवीं सदी के यूरोपियन कलावादी आंदोलन से प्रभावित था जो किसी वस्तु के विषय को विभिन्न खण्डों में विभाजित कर उसके अर्थो को समझता था। यह अर्थों की अनेकार्थता उनके सम्पूर्ण पेंटिंग में दिखाई देती है जिसके माध्यम से वह भारतीय समाज के ग्रामीण और शहरी समाज व्यवस्था के विभिन्न पक्षों के साथ-साथ महात्मा गांधी, गौतम बुद्ध, मदर टेरेसा, रामायण , महाभारत आदि को भी अपनी चित्रकारी में स्थान दिया। इस कारण उन्हें राष्ट्रीय और अंतराष्ट्रीय स्तर पर काफी सराहा गया उन्हें कई पुरस्कार भी मिले। लेकिन नाम और प्रसिद्धि के बढ़ते क्रम में वह आम जनता और उनकी सामाजिक स्थितियों से अलग होते चले गए , उनकी पेंटिंग केवल आर्ट गैलरी तक सीमित हो गयी जिसके खरीदार बड़े -बड़े पूंजीपति और उद्योगपति रहे, इसके साथ ही साथ अमेरिका जैसे साम्राज्यवादी देशों ने भी उन्हें सहयोग दिया। बाद के दिनों में उन्होंने कई विवादास्पद देवी -देवताओं के चित्र बनाये जिसका विश्व हिन्दू परिषद और राष्ट्रीय स्वयं सेवक संघ जैसे हिंदूवादी संगठनों ने विरोध किया। अंतत: उन्हें अपना देश छोड़ कर क़तर की नागरिकता लेनी पड़ी जहाँ उनका देहावसान हुआ। आह्वान उनके विचारों के साथ असहमति रखते हुए उनके जन्म दिवस पर याद कर रहा है ....………
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