ठीक उसी समय
तालियों की
गड़गड़ाहट
के बीच मिल
रहा था तुम्हें
साहित्य का सबसे
बड़ा पुरुस्कार
तालियों की
गड़गड़ाहट
के बीच मिल
रहा था तुम्हें
साहित्य का सबसे
बड़ा पुरुस्कार
देश का गृहमंत्री
बजा रहा था
तालियां तुम्हारी
कविता पर
तुम गर्व से सर उंचा किए
लोगों की भीड़ पर नजर
टिकाए हुए थे
मीडिया की नजरे
हर क्षण कैद कर रही थी
तुम्हारी मुद्रा को
बजा रहा था
तालियां तुम्हारी
कविता पर
तुम गर्व से सर उंचा किए
लोगों की भीड़ पर नजर
टिकाए हुए थे
मीडिया की नजरे
हर क्षण कैद कर रही थी
तुम्हारी मुद्रा को
हां ठीक उसी वक्त
छत्तीसगढ़ के
बीजापुर के जंगलों
में उमस भरी गर्मी
में पसीने से नहाये
लोग बात कर रहे थे
फसल के बारे में
मौसम के बारे में
खाद और उसकी
गुणवत्ता के बारे में
हां वे
बात कर रहे थे
तमाम चीजों के बारे
छत्तीसगढ़ के
बीजापुर के जंगलों
में उमस भरी गर्मी
में पसीने से नहाये
लोग बात कर रहे थे
फसल के बारे में
मौसम के बारे में
खाद और उसकी
गुणवत्ता के बारे में
हां वे
बात कर रहे थे
तमाम चीजों के बारे
ठीक उसी वक्त
पहनाया जा रहा था
शाल
और दिया जा रहा था
प्रशस्ति पत्र
पहनाया जा रहा था
शाल
और दिया जा रहा था
प्रशस्ति पत्र
और
ठीक उसी समय
मारी जा रही थी
गोली उन
मासूमों के
जिस्म में
जिसने कभी
नहीं फैलाया
हाथ और न
गिडगिड़ाये
तुम्हारे सामने
ठीक उसी समय
मारी जा रही थी
गोली उन
मासूमों के
जिस्म में
जिसने कभी
नहीं फैलाया
हाथ और न
गिडगिड़ाये
तुम्हारे सामने
उन्हें मारा जा रहा था
बाक्साइट और कच्चे लोहे के लिए
और हल्ला मचाया जा रहा था
दुनिया के सबसे बडे लोकतंत्र
को बचाने के लिए
बाक्साइट और कच्चे लोहे के लिए
और हल्ला मचाया जा रहा था
दुनिया के सबसे बडे लोकतंत्र
को बचाने के लिए
दूसरे दिन अखबारों की
सुखिर्या में थी तुम्हारे
सम्मान की खबर
पूछ बैठी बेटी
पापा देखा आपने
आज का अखबार
गर्व से बोले
लेखक
हां बेटा
भरा पड़ा है
कविता से अखबार
सुखिर्या में थी तुम्हारे
सम्मान की खबर
पूछ बैठी बेटी
पापा देखा आपने
आज का अखबार
गर्व से बोले
लेखक
हां बेटा
भरा पड़ा है
कविता से अखबार
नहीं पापा
मैं तो ....
बात कर रही हूं
उस खबर की जो
घटी है बीजापुर में
मारा गया है बेदर्दी से
लूटी गई है इज्जत
जिन मासूमों की
मैं तो ....
बात कर रही हूं
उस खबर की जो
घटी है बीजापुर में
मारा गया है बेदर्दी से
लूटी गई है इज्जत
जिन मासूमों की
लेखक हिचकिचायें
शांती से बोले
खबरें आती हैं
क्योकी लड़ाई सरकार बनाम
माओवादी है
बेटी धक्क से रह गयी
मासूमियत से बोली
मैं सोचती थी
यह घटना कर देगी
आपको झकझोर
और लिखने बैठेगें
कविता
उनके बारे में
जो बरसो से
नहीं लिखी गयी
शायद जिन्होंने
कभी शिकायत नहीं कि
शांती से बोले
खबरें आती हैं
क्योकी लड़ाई सरकार बनाम
माओवादी है
बेटी धक्क से रह गयी
मासूमियत से बोली
मैं सोचती थी
यह घटना कर देगी
आपको झकझोर
और लिखने बैठेगें
कविता
उनके बारे में
जो बरसो से
नहीं लिखी गयी
शायद जिन्होंने
कभी शिकायत नहीं कि
नहीं बनंगूी मैं कभी
लेखक
क्योंकि मैं समझ
गयी हूं
कौन है
आपकी कविता का
वारिस
लेखक
क्योंकि मैं समझ
गयी हूं
कौन है
आपकी कविता का
वारिस
बबिता उप्रेती
No comments:
Post a Comment